Tuesday, January 12, 2016

जीवन वृति एवं चित्त वृति के बीच चुनाव



एन.एस.एस. भारतीय प्रौधिकी संस्थान, रूडकी के तत्वाधान में दिनाँक १२/०१/२०१६ को छात्र कल्याण एवं मार्गदर्शन हेतु डॉ. अनुरूपा रॉय को व्याख्यान हेतु आमंत्रित किया गया |  कार्यक्रम का शुभारम्भ डॉ. अनुरुपा रॉय ने दीप प्रज्वलित कर के किया , इस अवसर पर छात्र कल्याण अध्यक्ष डॉ. डी.के. नोरियाल ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करायी | कार्यक्रम का उधेश्य छात्रों के जीवन में भविष्य में सही पेशे के चुनाव को लेकर होने वाली असमंजस को दूर करना था |
डॉ. अनुरुपा रॉय ने खुद के जीवन का उदहारण देते हुए बताया कि जिस तरह उन्होंने चिकित्सा शास्त्र में स्नाकोत्तर होते हुए भी परामर्श कार्य के छेत्र में खुद का भविष्य बनाया उसी तरह कोई भी अपने पसंद के छेत्र को स्वयं का पेशा बना सकता है | डॉ. अनुरुपा रॉय के अनुसार किसी भी छेत्र में जाने से पहले व्यक्ति को खुद से कुछ सवाल करने चाहिए और अगर उनके उत्तर संतोष जनक हों तभी आगे कदम बढाने चाहिए | उसे बिना किसी पूर्वाग्रह के खुद से प्रश्न करना चाहिए कि वह किस पेशे में जाना चाहता है | अगर वह उस पेशे में सफल न हो तो वापस खुद के छेत्र में आने का मार्ग उसके पास होना चाहिए तथा उसके पास पर्याप्त धन होना चाहिए जिससे की वह दूसरे छेत्र में खुद को स्थापित करने के समय सही तरीके से जीवनयापन कर पाए | उसे सफल होने के लिए पहले से ही उचित परियोजना बनाकर काम करना चाहिए |
कार्यक्रम के दौरान डॉ. अनुरुपा रॉय ने भारतीय प्रौधिकी संस्थान के छात्र नीलेश भल्ला एवं प्रतीक तोषनीवाल को उनके सराहनीय काम के लिए एन.एस.एस. उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया | व्याख्यान के अंत में डॉ. अनुरुपा रॉय ने छात्रों के प्रश्नों के उत्तर देकर उनके मन की शंकाओं को दूर किया | कार्यक्रम के अंत में डॉ. डी.के. नोरियाल ने डॉ. अनुरुपा रॉय को धन्यवाद देते हुए उन्हें अभारचिंह भेंट किया |

No comments: